अंतर्राष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस 2024: मेलबर्न के एक गुरुद्वारे में कचरा कम करने की एक पहल

Dr Harpreet Kanda

Dr Harpreet Kanda repurposed the used tires to create garden bed in Officer Gurdwara, Melbourne

30 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2023 से हर वर्ष इस दिन को मनाने की शुरुवात की गयी। इसका उद्देश्य है टिकाऊ उपभोग और उत्पादन पैटर्न को बढ़ावा देना, और 2030 के सतत विकास(सस्टेनेबल डिवेलपमेंट) के लिए जागरूकता बढ़ाना। इस पॉडकास्ट में मेलबर्न के डा हरप्रीत कांडा, ज़ीरो वेस्ट की दिशा में उनके द्वारा की गयी एक पहल के बारे में बताते हैे।


मेलबर्न विक्टोरिया के दक्षिण-पूर्व सबअर्ब ऑफीसर में स्थित गुरुद्वारे को एक ग्रीन गुरुद्वारा के रूप में भी जाना जाता है। वहाँ डा हरप्रीत कांडा ने एक कार्यक्रम की शुरुवात की है ।

उन्होंने गुरुद्वारे में उपलब्ध ज़मीन पर बेकार हो चुके टायरों में उपजाऊ मिट्टी भर कर विभिन्न सब्जियाँ उगाने की शुरुवात की। और इस काम में स्थानीय प्रतिष्ठित बीकनहिल्स कॉलेज बेरविक के छात्रों को शामिल किया।
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Students of Beaconhills College, Melbourne and 'Officer Gurudwara' volunteer working on a plantation project Source: Supplied / Beaconhills College photo/ Dr Harpreet Kanda
पेशे से वाटर इंजीनियर डा कांडा ने समझाया कि जीरो वेस्ट जीवनशैली मुख्य रूप से किसी उत्पाद के जीवन के अंत में कचरे के प्रबंधन पर केंद्रित होती है। इस दिशा में सभी को काम करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, " कचरे के सही प्रबंधन के लिये कचरा सही बिनस् में डालें, जितना चाहिये उतना ही खाना लें और बचे खाने को दोबारा उपयोग करने का तरीका अपनायें।"

पर्यावरण और उसकी चुनौतियों की बात करते हुये उन्होंने याद दिलाया कि भारतीय संस्कृति में तो इस विषय पर हमेशा से जागरुकता रही है और इसके साथ ही उन्होंने सतत विकास के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये,
कचरा प्रबंधन के मुख्य तीन आर (Three Rs) सिद्धांतों पर ध्यान दिलाया,

" कम करें (Reduce) , पुन:उपयोग करें (Reuse) और फिर पुन:चक्रित (Recycle) करें।"

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Students of Beaconhills College, Melbourne and 'Officer Gurudwara' volunteer working on a plantation project Credit: Beaconhills College photo/ Dr Harpreet Kanda

डा कांडा ने बताया कि गुरुद्वारे में उनकी इस व्यावहारिक परियोजना में, छात्रों ने 25 टायरों में विभिन्न सब्जियाँ लगाईं, जिससे लैंडफिल में अपशिष्ट में कमी आई और परिणामस्वरूप कार्बन प्रदूषण कम हुआ।

उन्होंने कहा कि यह पहल क्रियान्वित सर्कुलर अर्थव्यवस्था के एक ठोस उदाहरण के रूप में कार्य करती है। गुरूद्वारे में अपनी निःशुल्क सामुदायिक रसोई के लिए सब्जी उत्पादन में वृद्धि से लाभ होता है, और साथ ही छात्रों को सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है।

डा हरप्रीत कांडा गिप्सलेंड में फेडेरेशन यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग प्रोग्राम के लिये सीनियर लेक्चरर हैं।
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