स्वदेशी लोगों की सांस्कृतिक विविधता को समझने का महत्व

Portrait of three generation Aboriginal family

Portrait of three generation Aboriginal family Credit: JohnnyGreig/Getty Images

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मूल निवासी और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के साथ जुड़ने और सार्थक संबंध बनाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रथम राष्ट्रों की भीतरी विविधता को समझना महत्वपूर्ण है।


प्रमुख बातें
  • ऑस्ट्रेलिया के स्वदेशी लोग एक समरूप समूह नहीं हैं।
  • लगभग 500 राष्ट्र हैं, जिनमें से प्रत्येक की संस्कृतियाँ, भाषाएँ, जीवन के तरीके और रिश्तेदारी संरचनाएँ अलग-अलग हैं।
  • इस विविधता को समझना स्वदेशी लोगों के साथ सार्थक संबंध बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
ऑस्ट्रेलिया की स्वदेशी आबादी के भीतर समृद्ध विविधता एक आकर्षक पहलू है, जो इस आम गलत धारणा को दूर करती है कि सभी आदिवासी और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग एक सजातीय समूह से संबंधित हैं।

वास्तव में, स्वदेशी लोगों में अलग अलग संस्कृतियों, भाषाओं, जीवन शैली और रिश्तेदारी संरचनाओं का मिश्रण हैं।

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के किम्बरली क्षेत्र में बर्दी देश की एक बुजुर्ग आंटी मुन्या एंड्रयूज कहती हैं, इस विविधता को समझने का सबसे अच्छा तरीका ऑस्ट्रेलिया के स्वदेशी मानचित्र, को देखना है।

“हम लोगों को उस पर एक नज़र डालने के लिए प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि लगभग 500 राष्ट्र उस मानचित्र पर हैं। प्रत्येक राष्ट्र की अपनी भाषा होती है या वह दूसरे राष्ट्र के साथ एक ही भाषा साझा करता है।”
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Carla Rogers (left) and Aunty Munya Andrews (right), Evolve Communities Credit: Evolve Communities
आंटी मुन्या कहती हैं, 800 बोलियों सहित 250 से अधिक स्वदेशी भाषाएँ हैं, और उनकी संस्कृति, जीवन के तरीके और रिश्तेदारी संरचनाएँ सभी राष्ट्रों में भिन्न हैं - यहाँ तक कि कला भी।

“मैं केवल आदिवासी कला को देखकर बता सकती हूं कि यह ऑस्ट्रेलिया के किस क्षेत्र से आती है। यह वह विशेष है। अधिकांश लोग डॉट पेंटिंग को आदिवासी संस्कृति से जोड़ते हैं, लेकिन यह सिर्फ एक राष्ट्र की है।

"जब आप बर्दी लोगों को देखते हैं, मेरे लोग, हम खारे पानी के लोग हैं, हमारी कला दुनिया भर के अन्य द्वीपवासियों के समान है, वे ज्यामितीय पेंटिंग हैं जो लहरों को दर्शाती हैं और यह बिल्कुल भी डॉट पेंटिंग नहीं है," वह कहती हैं।

लेखिका, बैरिस्टर और इवॉल्व कम्युनिटीज़ की सह-निदेशक आंटी मुन्या कहती हैं कि स्वदेशी लोगों के साथ जुड़ते समय लोगों को यह समझना चाहिए कि 'एक ही आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं है'।

यह किसी समुदाय के रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रति सम्मान दिखाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आप अधिक सार्थक रिश्ते बना सकते हैं।

स्वदेशी कार्ला रोजर्स एक सहयोगी है जो आंटी मुन्या के साथ काम करती है। वह कहती हैं कि इस तरह का ज्ञान ऑस्ट्रेलिया के साझा इतिहास को समझने के लिए महत्वपूर्ण है और यह भी कि स्वदेशी और गैर-स्वदेशी लोगों के बीच अंतर आज भी क्यों मौजूद है।

"जब ऑस्ट्रेलिया पहली बार कालोनाइजेशन हुआ था और (अभी भी) जारी है, तो इस विविधता के बारे में जागरूकता की कमी ही हमारी समस्या का मूल रही है। हमारी कई समस्याएं जो अब मौजूद हैं [वे] आदिवासी और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों को एक सजातीय समूह के रूप में देखने और इस समृद्ध विविधता को स्वीकार न करने के कारण हैं,'' वह कहती हैं।
Multigenerational Aboriginal Family spends time together in the family home
The Indigenous peoples of Australia are not one homogenous group. - Belinda Howell/Getty Source: Moment RF / Belinda Howell/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया हमेशा से बहुसांस्कृतिक रहा है

आंटी मुन्या कहती हैं, स्वदेशी लोग बहुसंस्कृतिवाद में "विशेषज्ञ" हैं।

“मेरे लोग हजारों वर्षों से बहुसंस्कृतिवाद में रह रहे हैं। हमने अन्य आदिवासी समूहों के साथ बातचीत करना सीखा है, कुछ अलग-अलग भाषाएँ बोलना सीखा है," वह बताती हैं।

डॉ. मैरिको स्मिथ जैसे लोगों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है, जिनके पास स्वदेशी और सांस्कृतिक विरासत है, । इस तरह से यह प्रथम आस्ट्रेलियाई लोगों की विविधता को समृद्ध करती है।

उनके पिता न्यू साउथ वेल्स के दक्षिणी तट पर युइन राष्ट्र से हैं, जबकि उनकी मां जापान के क्यूशू में कोकुरा से हैं।

"मेरी जापानी और आदिवासी विरासत के कारण कुछ लोग समझते हैं कि मैं उत्तर और उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से हूं, जहां जापानी मोती उद्योग था, “लेकिन मेरे माता-पिता क्यूशू में एक कॉफ़ी शॉप में मिले थे जब मेरे पिता जापान की यात्रा कर रहे थे। उन्होंने जापान में शादी की और फिर वह मेरी मां को ऑस्ट्रेलिया ले आए।"

बड़े होने पर, डॉ. स्मिथ को एशियाई दिखने के कारण बहुत सारे "नस्लीय अपमान" का सामना करना पड़ा, लेकिन उनका कहना है कि जब लोगों को पता चला कि वह भी आदिवासी थी, तो ये टिप्पणियाँ और भी "अगले स्तर" पर चली गईं।
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Dr Mariko Smith Credit: Anna Kucera Credit: Anna Kucera/Anna Kucera
डॉ. स्मिथ बताती हैं कि इसका कारण आदिवासी लोगों के बारे में लोगों की त्वचा का रंग या सभ्यता का स्तर जैसी रूढ़िबद्ध धारणाएं और संकीर्ण धारणाएं हैं, जो जैसा कि इतिहास लिखा गया है बस उससे ही सीखी गई हैं।

"लोग सोच सकते हैं कि वे अपने जीवन में पहले किसी आदिवासी व्यक्ति से नहीं मिले हैं, लेकिन संभावना है कि वे मिले होंगे, बात सिर्फ इतनी है कि वे शायद लोगों की उन रूढ़ियों और धारणाओं की तरह नहीं होंगे।"

डॉ. स्मिथ का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया को, बहुसांस्कृतिक होने के नाते, वास्तव में समावेशी होने के लिए स्वदेशी आबादी के भीतर विविधता को पहचानना और अपनाना होगा।

“यदि आप आदिवासी लोगों के बारे में बहुत सरल तरीके से सोच रहे हैं, तो वास्तव में केवल सरल समाधान ही हैं। यह इतनी जटिल, विविध अवधारणा है जिसके लिए व्यापक और विविध समाधानों के साथ-साथ विचार की भी आवश्यकता है।

कार्ला रोजर्स बताती हैं कि जब गैर-स्वदेशी लोग इस विविधता को नहीं समझते हैं तो लोग गलतियाँ कर सकते हैं।

“हम कुछ ऐसा कह सकते हैं जो बहुत दुखदायी हो सकता है, कुछ ऐसा जो संभावित रूप से नस्लवादी हो सकता है। यह समझने में बाधा बन जाता है।"
Thirteen Aboriginal and Torres Strait Islander people from across Australia taking part in the inaugural Mob in Fashion initiative.
Thirteen Aboriginal and Torres Strait Islander people from across Australia are taking part in the inaugural Mob in Fashion initiative. Credit: Thirteen Aboriginal and Torres Strait Islander people from across Australia are taking part in the inaugural Mob in Fashion initiative.

हम स्वदेशी विविधता के बारे में और अधिक कहां जान सकते हैं?

जैसे आप यूरोप में यात्रा करते समय मानचित्र से शुरुआत करते हैं, उस देश की पहचान करते हैं जिसमें आप हैं और उसकी संस्कृति और भाषाओं के बारे में सीखते हैं।

रोजर्स कहती हैं, "यदि आप दो घंटे से अधिक की यात्रा कर रहे हैं, उदाहरण के लिए सिडनी से, तो आप विभिन्न देशों से गुजर रहे हैं।"

अपने पारंपरिक मालिकों और इतिहास सहित देश के बारे में गहरी जानकारी हासिल करने के लिए, भूमि परिषद और स्थानीय परिषदें अच्छे शुरुआती बिंदु हैं।

मुन्या आंटी का कहना है कि यह "स्व-शिक्षा" के बारे में है।

“जितना हो सके सीखें, संलग्न हों, विशेषकर प्रथम राष्ट्र के लोगों के साथ। डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, बस अपना परिचय दें, सामुदायिक कार्यक्रमों में जाएँ।

यह प्रथम राष्ट्रों को जानने के लिए कदम उठाने के बारे में है।

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